आप (सॉ )ने फ़रमाया के किसी औरत के लिए जो आल्लाह ताला और आखरत पर ईमान राखती हो तो ये जायज नाहीं है के ओह आपने हाथ से जियादः खोले . ये कहकर आप (सॉ) ने आपनी कलए के निस्फ़ पर हाथ राख्खा।
जब लारकि बालिग हो जाये तो इस के जिसिम का कोई हिसे नजर ना आना चाहिये सेवाएं चेहरे और कालायी के जोर तक ....
हाजरत आइसा (रा) फरमाती है के मई आपने भातीजे अब्दुलाह इब्ने तफल के सामने जीनत के साथ आये। तो आप (सॉ )ने फ़रमाया जब औरत बालिग हो जाये तो इसके लिए जायज नहीं के आप ने जिसिम मेसे कुछ जाहिर करे सेवाएं चेहरा के और सेवाएं इसके ये कह कर आप ने आपनी कालायि पर इस ताराह हाथ राख के आप की गिरफत के मोकाम और हाथली के दारमियाँन सिरिफ एक मुठी भर जागाह बाकि थी।
हाजरत अबूबकर (राज ) की बाटी हाजरत आस्मा (राज ) जो होजुर (सॉ ) की बारी साली थी एक मर्तबा होजुर (सॉ ) ने के सामने बारीक़ कपड़े पाहान के हाजिर हुवा है। जिसिम आन्दर से झलक रहा था होजुर (सॉ ) ने फौरन नाजर फेरली और फारमाया आस्मा जब औरत बालिग हो जाये तो दुरुस्त नहीं के इस के जिसिम का कोई हिसा दिखाइ दे। इसके सेवा और ये कह कार आप ने आपने चेहरा और हाथेलीव की तरफ इसरा फ़रमाया।
हाजरत आइसा (रा) की भतीजी हफजा (राज ) इन की खिदमत में हाजिर हुआहै और उनकी बारीक़ दोपट्टा ओरहीथी हाजरत आइसा (रा) ने इस को परदह डाला और एक मोती ओढ़नी इन्हे ओरहादी।
आप (सॉ ) का इरसाद है आल्लाह ताला की लानत उन औरत पर जो लिबास पाहन कर भी नंगी की तंगी राहे ।
हाजरत उमर (रा) का इरसाद है अपनी औरत को ऐसी कपड़े न पहनाओ जो जिसिम पर इस तरह चुस्त हो के सारे सारे जिसिम की हैयत नुमाये हो जाये।
गारज ये के चेहरा और हाथ के सेवा औरत का पूरा जिसिम सतर में दाखिल है। जिसको आपने घर में आपने कारीब तरीन आजीजो से भी छुपाना इस पर वाजिब है। ओह सोहर के सेवा किसी के सामने आपने सतर ओह वजूद को नाहीं खोल सकती खोह ओह इस का बाप भायी भातीजा ही किउ ना हो।
हात्ता के ओह ऐसा बारीक़ लिबास भी नहीं पहन सकती जिस में सतर नुमाई होता हो।